Pages

Friday, January 18, 2013

बनारस के कवि और शायर/ श्री विन्ध्याचल पाण्डेय

       आज मैं बनारस के एक काव्यजगत के अप्रतिम हस्ताक्षर और मेरे मित्र श्री विन्ध्याचल पाण्डेय की रचनाएं आप के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। श्री विन्ध्याचल पाण्डेय बनारस काव्य-मंचों के बहुत ही मशहूर कवि हैं और ये अपनी कविता में नये तेवर के लिए जाने जाते हैं। आशा है आपको ये रचनाएं पसन्द आयेंगी....


ग़ज़ल-1

अजीब बात अजीब दौर अजब लोग यहाँ।
न जाने कौन-सा फैला हुआ है रोग यहाँ।


उपनिषद, वेद, संहिताएं कौन गुनता है,
बदल कलेवर हुआ योगा अब तो योग यहाँ।


धर्म के मर्म से अनजान इण्डिया वाले,
त्याग, वैराग्य पर भारी है अब तो भोग यहाँ।


डूबती नाव, भंवर और नशे में माझी,
बन रहा इस तरह हठाग्रही कुयोग यहाँ।


अर्थ के फेर में अनर्थ का समर्थन है,
उदारता में उदारीकरण का सोग यहाँ।

-------------------------------------------
ग़ज़ल-2

सच न कहेंगे, सच न सुनेंगे, इसलिए हम है आज़ाद।
सुरा-सुन्दरी, भ्रष्टाचार जिन्दाबाद, जिन्दाबाद।


सुविधा-शुल्क और महंगाई, इसीलिए सरकार बनाई,
कौन सुनेगा किसे सुनाएं अब जाकर जनता फरियाद।


सूर, कबीर, निराला, तुलसी, गालिब, मीर मील के पत्थर,
नई फसल के लिए शेष है अब तो केवल वाद-विवाद।


सेण्टीमेण्ट विलुप्त हो रहा, इन्स्ट्रुमेन्टल प्यार हो गया,
झूम रहे हैं, घूम रहे हैं, कौन करे इसका प्रतिवाद।


क्षेत्रवाद, आतंकवाद को भाषा, धर्म से जोड़ा,
सत्ता वाली कुर्सी खातिर, करते नए-नए इजाद।

14 comments:

  1. बहुत खुबसूरत ग़ज़ल दोनों हर शेर लाजबाब , मुबारक हो

    ReplyDelete
  2. बहुत खुबसूरत ...

    ReplyDelete
  3. सामयिक .. बहुत ही लाजवाब आम शेरों से हट कर लिखा काव्य ... लाजवाब ...

    ReplyDelete
  4. श्री विन्ध्याचल पाण्डेय जी की गजले वाकई लाजबाब है पण्डे जी से और उनकी रचना से परचित करने के लिए आपका बहुत बहुत साधुवाद

    ReplyDelete

  5. I am a Hindu and by corollary a terrorist .Jai ho .This sentence of mine is dedicated to Mr Shinde the HM of India not of Bharat .

    ReplyDelete
  6. इस तंत्र की जय हो .जहां हर पल मरता हो गण ,उस तंत्र की जय हो .जहां पल प्रति पल होतें हों बलात्कार हर उम्र की मादा के साथ .जहां डाल डाल पे वहशियों का हो डेरा

    ReplyDelete
  7. बहुत खुबसूरत ...

    ReplyDelete
  8. यह ब्लॉग संकलन वन्दनीय है ...
    शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  9. बहुत खुबसूरत

    ReplyDelete
  10. लाजवाब ग़ज़ल

    ReplyDelete
  11. खूबसूरत और सामयिक गजल प्रस्तुति।

    ReplyDelete